सिंदूर और मंगलसूत्र में नुसरत जहां देश की मिलीजुली संस्कृति के जिंदा होने का सबूत हैं
- राम पुनियानी
नुसरत जहां पहली बार लोकसभा की सदस्य निर्वाचित हुईं हैं। उन्होंने हाल ही में निखिल जैन से विवाह किया है। उनके विवाह ने तो लोगों का ध्यान आकर्षित किया ही, उससे भी अधिक चर्चा इसकी हुई कि जब वह लोकसभा में बतौर सदस्य शपथ लेने पहुंचीं तब वह मंगलसूत्र पहने हुईं थीं और उनकी मांग में सिंदूर था। किसी मुस्लिम स्त्री को सिंदूर और मंगलसूत्र पहने देखकर जिन लोगों को आश्चर्य हुआ, वे शायद यह नहीं जानते कि भारत एक मिलीजुली संस्कृति वाला देश है जिसमें विभिन्न धर्म और उनकी संस्कृतियां एक-दूसरे को प्रभावित करती रही हैं और आज भी कर रही हैं।
नुसरत जहां के विवाह से नाराज देवबंद के एक मौलाना ने बयान जारी कर दिया कि कुरान के अनुसार, किसी मुस्लिम का गैर-मुस्लिम से विवाह प्रतिबंधित है। इसके जवाब में साध्वी प्राची ने एक वक्तव्य में नुसरत जहां का बचाव करते हुए कहा कि जब कोई हिन्दू स्त्री किसी मुस्लिम पुरूष से विवाह करती है, तब उसे बुर्का आदि पहनना होता है। इसलिए इसमें क्या गलत है अगर कोई मुस्लिम स्त्री किसी हिंदू पुरूष से विवाह करे तो वह अपनी मांग में सिंदूर भरे या मंगलसूत्र पहने।
इस आलोचना का नुसरत जहां ने ट्विटर के जरिये अत्यंत गरिमापूर्ण जवाब दिया। उन्होंने लिखा, ‘‘मैं एक समावेशी भारत का प्रतिनिधित्व करती हूं जो धर्म, जाति और नस्ल की सीमाओं से ऊपर है।‘‘ उन्होंने आगे लिखा, ‘‘मैं मुसलमान बनी रहूंगी और किसी को इस पर टिप्पणी करने की जरूरत नहीं है कि मैं क्या पहनती हूं। आस्था, पहनावे से बहुत ऊपर है। आस्था का संबंध विश्वासों से है। शादी एक व्यक्तिगत मसला है और कोई व्यक्ति क्या पहनता है और क्या नहीं, यह भी उसकी व्यक्तिगत पसंद है।”
जहां तक मंगलसूत्र, बिंदी और साड़ी का सवाल है, ये सभी भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं। जो लोग उन्हें पहनते हैं, उनका स्वागत है, लेकिन उन्हें किसी पर लादना निश्चित तौर पर गलत है। सदियों से हिन्दू और मुसलमान इस देश में एक साथ रहते आए हैं और वे एक-दूसरे की प्रथाओें और आचरणों को अपनाते रहे हैं।
Leave a Reply