साम्प्रदायिक सौहार्द – शैलेन्द्र चौहान
Posted in: समाज, सांप्रदायिकतासाम्प्रदायिक सौहार्द — शैलेन्द्र चौहान — धर्म, जाति और लिंग सम्बंधी श्रेष्ठता की मानसिकता बहुत कुछ हमारी साम्प्रदायिक भावना को उभारने के लिए उत्तरदायी है। श्रेष्ठता की मानसिकता, दूसरे के महत्व को स्वीकार करने की गुंजाइश समाप्त कर देती है और जब तथाकथित श्रेष्ठ तबके के अंह को कहीं ठेस पहुंचती है तो वह साम्प्रदायिकता […]